Followers

Saturday 25 June 2016

  १६. दुःख और अंधकार

दुःख को दुःख से चीरता देखो वो अन्धकार चला ,
न किसी से जलन न , न ही किसी से गिला !
आस ही आस में सदियों का सा फासला ,
न ही मिलने का गम ,न जुदाई का सिला !
चलता ही जा रहा है ,देखो वो खुद को ही छलता हुआ ,
कोई जाना हुआ ,लेकिन अजनबी सा सिलसिला !!

No comments:

Post a Comment