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Sunday 26 June 2016

                                   १८ .नारी का सम्मान
मेरी रचना " समस्त भारत राष्ट्रीय पत्रिका (मासिक)" दिल्ली में,..
नारी का सम्मान ,हमारे देश की पहचान !
फिर क्यूँ है हमारे देश में ही नारी का अपमान ?
हिम्मत रखती हैं बेटियां, दूर तक साथ निभाने की !
करती हैं नाम रोशन जहाँ में अपने पालन हार का !!
पहुँच गयी आज चाँद और पहाड़ों पर बेटी ,
शर्म नहीं ,”बेटियां गर्व हैं आज” !
रखती हैं हिम्मत कुछ बेहतर कर दिखाने की !!
छू लिया आसमान जिसने अपने बल पर ,
रखती है ताक़त अपने कन्धों पर जिम्मेदारी उठाने की !
फिर हो चाहे वो रणभूमि या बच्चों की परवरिश निभानी !!
फिर भी क्यूँ आंकी जाती है कम कीमत उनकी ,
क्यूँ बना दी जाती है आज भी, वो एक अबला बेचारी !
क्यूँ नहीं उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाई किसी ने !
चाहे वो घर हो या ऑफिस की चहारदीवारी !!
मिल जाए अगर आज भी एक लड़की अकेली सड़क पर ,
घूरती हैं हजारों आँखें ऐसे ,जैसे कोई अजूबा हो भारी !!
क्यूँ है आज भी एक बेटी आजाद देश में गुलामों जैसी ?
अपनी बहन बेटी सबको लगती है प्यारी ,
पर औरों की क्यूँ होती है हमेशा एक बेचारी !!
हर पल झेलना सबकी तीखी नजरों की खुमारी ,
क्यूँ बन गयी आज बेटियों की इज्जत एक दुश्वारी !
रखते हर पल “गिद्ध की नजर कुछ खूंखार भेडिये”,
जैसे हों वो कोई मंजे हुए शिकारी ?
न मौत का डर,न भगवान् की शर्म किसी को ,
बस चाहिए खाने को जिस्म की सौगात “सिर्फ एक नारी”
आ गया गर कहीं से बचाने कोई शराफत का पुजारी ,
उसकी भी खैर नहीं ,लगा दिया उसको भी ठिकाने ,
मार कर एक पल में दुनाली !!
कैसे बच पाएगी इस तरह संसार में बेटी की इज्जत ?
जब तक न समझोगे हर औरत को अपनी माँ ,बहन
बेटी की तरह प्यारी !!
महकने दो इन कलियों को अपनी बगिया में ,
बनने दो कली से खिलकर “फूलों की खुमारी” !
बिखेरने दो अपनी खुशबू से “दुनिया की फुलवारी” !!
रहो खुश और खुशियों से जीने दो ,गर चाहिए ,
दुनिया में “शान्ति और स्नेह” की प्रेम भरी वाणी !!
नहीं होंगी बहन और बेटियां तो किससे राखी बंधबाओगे,
घूमोगे लेकर सूनी कलाई ,क्या फिर खुश रह पाओगे ?
बेटी के बिना कैसे खुशियाँ तुम बांटोगे ?
नारी ही है प्रेम की सम्पूर्ण शक्ति,
क्या नारी को रौंदकर अपना अस्तित्व बचा पाओगे :
मत भूलो प्राचीन सभ्यता को ,जहाँ नारी पूजी जाती थी !
आकर बहकावे में पाश्चात्य सभ्यता के कब तक खैर मनाओगे !
याद करो झाँसी की रानी और इंदिरा गाँधी को ,
मरते दम तक लड़ती रहीं जो देश के लिए ,
वो भी तो किसी की बेटी थीं !!
जहाँ न इज्जत बेटी की ,वो जगह नहीं बैठने की तुम्हारी ,
(जागो मेरे देश वासियों ,बचा लो अपने देश की तौहीन
भारत माता पुकार रही ,आँखों में भरकर नीर )..................!!!

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