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Friday 22 July 2016

                                   ५७.गुरु 

जिन मात पिता को पूछत नाही ,
उन के ज्ञान को क्या कहिये ।
गावत है गुरु को गुणगान ,
उनके अंदाज को क्या कहिये ।।
बिसरा कर स्वर्ग जमीन पर ,
इच्छा करत हैं परलोक की ,
उन बैरागी को सादर प्रणाम ,
उनकी अभिलाषा क्या कहिये।
करके कुर्बान सारी खुशियां ,
मिट जावत है देश के खातिर
जिन्हें तनिक लोभ नही प्राणन को 
उन वीर जवानों को क्या कहिये।।
(जय गुरुदेव ,जय हिंद )
                                                        

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