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Wednesday 6 July 2016

                                            ४२.वक्त 


वक्त किसी का नहीं होता,

आज तेरा है ,कल मेरा था !

सब गुलाम हैं किसी अदृश्य शक्ति के तो ,

कैसे मान लूँ इंसान किसी का गुलाम नहीं होता !!


(मेरी किताब "यही है जिंदगी" से)

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