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Wednesday 27 July 2016

६५.कविता


मेरी रचना रायपुर के दैनिक पेपर जग प्रेरणा में ,

नफरतों से भरी इस दुनिया में एक चिराग प्यार का जलाकर तो देखो ,
छंट जायेगे कालिमा भरे बादल भी
एक मुस्कान प्यार भरी डालकर तो देखो।
बाअदब नही होती हर इंसान की फितरत ,
अदब से भरी है दिलों की फुलवारी ।
एक तीर प्यार भरा छोड़कर तो देखो।
मिट गए कितने ही सूरमा प्यार के अंदाज पर ,
प्यार पर खुद को कुर्बान करके तो देखो ।

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