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Thursday 20 October 2016

                     १०८,एक पत्नी का पत्र फौजी पति के नाम 


एक पत्नि का अपने फौजी पति के नाम पत्र- ;
छलक जाती हैं मेरी आँखें तुम्हें जाते हुए देखकर ,अब कब आओगे सहम जाती हूँ सिर्फ यही सोचकर |
अगले ही पल खुद को संभाल लेती हूँ मैं ,क्या हुआ गर तुम पास नहीं हो मेरे ,तुम्हारा प्यार तो मेरे पास है|
जरूरी नहीं मेरे पास रहना तुम्हारा ,”भारत माँ”_ को तुम्हारी मुझसे ज्यादा जरूरत है |
क्या हुआ गर बेटा पूछता है मुझसे , माँ पापा कब आयेंगे ?क्या हुआ गर बेटी को तुम्हारी याद सताती है |
सुला देती हूँ अक्सर दोनों को प्यार से लोरी सुनाकर|
माँ भी तुम्हें बहुत याद करती हैं, बाबूजी भी उदास है तुम्हें पास न पाकर |
आ रही है फिर से करवा चौथ और दिवाली ,सहम जाती हूँ फिर से यही सोचकर ,
कैसे सजाऊँगी बिन तुम्हारे जिंदगी के वो पल ,फीके हैं बिन तुम्हारे मेरे श्रृंगार ,
समझा लेती हूँ दिल को फिर यही सोचकर ,क्या हुआ गर तुम इस बार नहीं आओगे ?
कितनी ही माँओं की आस तुम बचाओगे |सिन्दूर बचाओगे कितनी ही बहनों का दुश्मनों से टक्कर लेकर |
“मैं कितनी खुशनसीब हूँ जो पाया तुम्हें जीवन साथी के रूप में |मत होना कभी उदास “ऐ प्यार मेरे “सलाम करती हूँ आज मैं फिर से तुम्हारे जज्बों को ,खुश हूँ मैं बहुत तुम्हें अपनी जिंदगी में पाकर |”
यूँ तो आसान नहीं होता बिन तुम्हारे अकेले रहना ,अगले ही पल तन जाता है गर्व से सर मेरा ,
जब देखती हूँ तुम्हें “भारत माँ_” के लिए अपनी खुशियों की कुर्बानी और सर्वस्व न्यौछावर करते हुए |
हाँ मुझे पूर्ण विश्वास है तुम आओगे जरूर एक दिन हम सबके लिए ढेर सारी खुशियाँ लेकर बहुत सारा प्यार लेकर |
तुम्हारी अर्धांगिनी
जय हिन्द जय भारत
वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़
संगम बिहार कॉलोनी गली न.३ नगला तिकोना रोड सुरेंद्रनगर अलीगढ़

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