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Wednesday 28 December 2016

                                                 १२९.नसीब 


जय श्री कृष्णा मित्रो ,
जन्म मृत्यु यश अपयश सब बिधि के हाथ ही तो है ।जो बातें हम अपने लिए सोचते हैं ,वो शायद ही कभी पूरी हो पाती हैं ।इसका मतलब ये तो नहीं कि हम कर्म करना छोड़ दें ।जीवन कब खुद के अनुरूप चलता है ।कभी कभी हालात हमसे वो करा देते हैं ,जिनका ताउम्र अफ़सोस रहता है ।कुछ लोग ऐसे भी होते है जो योग्य होते हुए भी सफलता प्राप्त नहीं कर पाते ।जीवन की विषम परिस्तिथि उनको आगे बढ़ने से रोक देती हैं 
और इंसान खुद को सिर्फ यही कहकर समझा लेता है कि जो हुआ अच्छा ही हुआ ।इंसान के हाथों में कुछ भी तो नहीं ,सिवाय कर्म करने के ।लेकिन जो विपरीत परिस्थितियों में भी समायोजन करके निरंतर प्रयासरत रहते हैं ,वही जीवन में आगे बढ़ पाते हैं ।
"ख्वाइशों की भट्टी में जो उबलता है रात दिन ,
इंसान वही पा लेता है अपनी सुनहरी मंजिल एक दिन ।।"

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