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Wednesday 14 December 2016

११८.
साधारण व्यक्ति को समझने के लिए ,
दिमाग की नहीं दिल की जरूरत होती हैं ।
कब समझ पाते हैं लोग ईमानदारी को ,
जिनकी फितरत ही सिर्फ नफरत होती है ।।












११९.
ऐ जिंदगी,
जब भी जीने के लिए वजह ढूँढ़नी चाही ,
तेरा नया फरमान आ गया ।
हम डूबते रहे लहरों के खेल में ,
जब भी किनारा पकड़ना चाहा ।।

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