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Thursday 30 March 2017

                                       ४८, आत्मा

शजर के पत्तों को अपना घर कहने वाले ,
कभी इस तन को भी बसेरा समझा होता !

सजाते हो जिस फख्र से घर अपना,
कभी आत्मा को भी सजाया होता !!

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