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Thursday 1 June 2017

                                        ८६.रिश्ते 

Jai shree krishna mitro ,


हर नया रिश्ता
आजमाता है ,
परखता है ।
दीवानगी की हद 
तक अश्क़ दे जाता है ।
वो क्या जाने 
उन बहते हुए अश्क़ों 
की कीमत ,
जिन्हें सिर्फ दिल से 
खेलना आता है ।
इम्तहान के दौर से 
जब भी गुजरती है 
बंदगी ,
दिल मे एक तूफान
समा जाता है ।
वो क्या जाने 
आंसुओं की कीमत जिन्हें
सिर्फ रुलाने में मजा आता है ।

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