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Wednesday 13 December 2017

                                 १६९ ,शेर 

यदि मुमकिन होता जीना यूँ सांस के बिना 
तो आज यूँ मुर्दा न होते 
ज़िंदा भी रहते और यूँ अकेले भी 
न होते शमशान में !!

राहों में हमसफ़र के कोई तनहा नहीं होता 
जुदाई हो जाए लाख पर प्यार कम नहीं होता 
जीने का बहाना जरूरी है सफ़र में 
बरना जिंदगी में जीने का मजा नहीं होता 

समंदर बसा है इन आँखों में 
कभी डूबकर तो देखा होता 
न होती जरूरत कश्ती की 
एक बार हाथ जो थामा होता 

ख्यालों में ही सही तेरे पास आकर मुस्करा लेते हैं,
दीवानगी है ये प्यार की या है दिल की अदाएं ।
मोह्हबत में खुद को यूं भी .........आजमा लेते हैं !

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हद में रहकर भी बहुत याद आते हैं ,
कुछ रिश्ते दर्द बनकर साथ रहते हैं

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