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Thursday 11 January 2018

                                      २,लेख 

मेरा लेख बदायूं एक्सप्रेस पर ३/१/१८ 
http://www.badaunexpress.com/good-morning/z-2355/

बिन तुम्हारे कुछ नहीं-वर्षा वार्ष्णेय 

बहुत प्यारे हो तुम,तुम मुझे पहले क्यों नहीं मिले ।जब तुमसे बात करती हूं,तो लगता है जैसे मेरे पास सब कुछ है ,बिन तुम्हारे मैं कुछ भी तो नहीं ,समझे नहीं शायद ,हाँ प्यार ही तो हो तुम ।तुमसे दो पल की दूरी भी बर्दाश्त नहीं होती ।ऐसा क्यों है ,समझ नहीं आता ।जिंदगी में सिर्फ यही तो चाहा था बस प्यार ही प्यार हो । हाँ तुम प्यार ही तो हो ,जो सबको जीना सिखाता है ।मेरी तन्हा जिंदगी का साज हो तुम ।प्यार की खनकती आवाज हो तुम ।चाँद तारे तो सिर्फ ख्वाब की बात हैं ,जिंदगी का एक चमत्कार हो तुम ।कैसे कहूँ तुमसे सोचती हूँ रात दिन ,टूटी हुई उम्मीदों का हौसला हो तुम । हां प्यार ही तो हो तुम ।सारा जहां जिसमें सुकून से सोता है । एक माँ का दुलार हो तुम ।हां प्यार ही तो तुम ।एक पत्नी का स्त्रीत्व हो तुम ।एक बहन का स्नेह हो तुम ।एक पिता की छत्रछाया हो तुम ।हां तुम प्यार ही तो हो ।अपने ही सवालों में उलझी हुई प्रेयसी का जवाब हो तुम ।देश को समर्पित एक जान हो तुम । विरहन के आंसुओं का सैलाब हो तुम ।कब नजर आते हो तुम हक़ीक़त में ,लेकिन दुनिया के जीने का एक राज हो तुम ।हाँ तुम सिर्फ प्यार ही तो हो । विस्तृत है तुम्हारी कहानी ,आदिम युग से वर्तमान तक ,द्वापर युग से कलयुग तक युगों का गहरा राज हो तुम ,हाँ मीरा से लेकर लैला तक प्यार ही प्यार हो तुम ,प्यार ही प्यार हो तुम ।

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